Sun. Apr 28th, 2024
Analyzing Love compatibility of your relationship with Vedic astrology

��ह धमम16 संकार मानेगए हजसमसेववाह 15 वा संकार है। ववाह एक ऐसा पव बंधन हैजसमी और पुष एक सरेकेसाथ रहनेकेलए कसम खातेह। भारतीय संकृत मववाह का वशेष महव है, हमारेसमाज मया भारतीय समाज मअववाहत पुष या मनुय अपनेआप मकुछ अधूरेपन का अनुभव करता है। ववाह सेउसकेजीवन मउरदायव परपवता और पूणता क भावना जागृत होती हैऔर उसेअपनेपरवार तथा समाज मअधक समान ात होता हैसंतान उप करके अपनेपतर के त अपनेऋण सेपूणहो जाता हैववाह  और समाज के बीच मएक जोड़नेवाली कड़ी का कायकरता हैजसकेारा  अपनेपरवार और समाज सेसदैव जुड़ा रहता है। अववाहत मनुय वृावा म अपनेही लोग ारा तरकृत कया जाता हैऔर उसक आवयक देखभाल नह क जाती । येक समाज मववाह केलए अपने-अपनेरीत-रवाज केअनुसार मायताएंह। ववाह केसंदभमदेशकाल पा क एक महवपूणभूमका अदा करता है 

यक जो मायताएंहमारेभारतीय संकृत मेमाय हैवह वदेश ममाय नह है। वदेश मलोग , मनुय बना ववाह कए एक सरेकेसाथ रहतेहतो वहांकेलोग उसेबुरा नह मानतेकतुहमारेसमाज हमारी संकृत ववाह सेपूवएक साथ रहने को रहनेक इजाजत नह देती या यूंकहए हमारेसमाज मइसेधमकेव माना जाता है। वदेशी परवेश मएक या एक से अधक शाद या संबंध आम बात हैकतुभारतीय संकृत मया यूंकहए क भारतीय संवधान मकानूनी तौर पर एक सेअधक ववाह क अनुमत नह है। 

कतुकुंडली मकुछ ऐसेयोग वमान होतेहजहदेखकर यह पता लगाया जा सकता हैक  क कुंडली मपुनववाह का योग वमान हैया नह। ववाह दंप का नणय वधाता ारा पहलेसेही तय कर दया जाता हैयह कहावत ाचीन काल सेचलत हैक जोड़यांवगमबनती हैपरंतुववाह योय लड़केलड़कय केमाता पता सुशील कया अथवा सुयोय वर को ढूंढनेकेलए साधारण सा बत समय लगातेह। योतष मवास रखनेवालेअथवा धामक वृ के इस वषय पर अनुभवी योतषय का परामशलेतेहइसके बावजूद आधुनक काल मबत सेववाह संबंध शी ही टूट जातेहअथवा हन के हाथ क मेहंद सूखनेसेपहलेही कोई घटना हो जाती हैजसकेफलवप तलाक या अकमात मृयुकेकारण भी लड़के या लड़क को सरी बार ववाह करना पड़ता हैऐसा य होता है। 

आज केयुग मजस तरह लोग मभोगी वृ बढ़ती जा रही है, अनैतक संबंध भी उतनेही बढ़तेजा रहेह। कई पुष का एक ी सेपेट नह भरता और अनेक य केकई पुष सेसंबंध बनतेह। इसलए कई लोग चोरी-छुपेसरेरतेबनातेह। यद जातक क जमकुंडली का सटक वेषण कया जाए तो यह आसानी सेपता लगाया जा सकता हैक या जातक क कुंडली मएक सेअधक ववाह का योग हैअथवा नह। 

योतष केकुछ स शा जैसे पराशर होरा शा सवाथचतामण अथवा फलदपका केअनुसार दए गए कुछ योग इस कार है। जहदेखनेके बाद बड़ी सरलता सेपता चल सकता हैक इसी  वशेष क कुंडली मपुनववाह या सरी शाद का योग हैअथवा नह 

�� यद सतमेश अपनी नीच राश महैतो  क दो पनयांहगी । 

��यद सतमेश पाप ह केसाथ कसी पाप ह क राश महो और जम कुंडली और नवांश का सतम भाव शन या बुध क राश महो तो  के दो ववाह हगे। 

��यद मंगल और शु सतम भाव महो या शन सतम भाव महो और लनेश अम भाव महो तो जातक के तीन ववाह हगे । 

��यद सतमेश सबल हो शु  वभाव रांची महो राश महो जसका अधपत ह उ का हो तो  क एक सेअधक पनयांहोती है 

��सतमेश उ का हो या वक गत मेहो या शु लन भाव मसबल व सुत हो तो जातक क कई पनयांहोती है।

��यद सतम भाव मपाप ह हो तीयेश पाप ह केसाथ हो और लनेश अम भाव महो तो जातक के दो ववाह हगे। 

��यद सतम भाव मपाप ह हो और सतमेश अपनी नीच राश या शुराश मकसी शुभ ह केसाथ त हो तो जातक के दो ववाह हगे। 

�� यद शु जम कुंडली या नवमांश मकसी पाप ह क युत मअपनी नीच राश महो तो  के दो ववाह हगे। 

�� यद सतम भाव और तीय भाव मपाप ह हऔर इनके भावेश नबल हो तो जातक क पहली पनी क मृयुहो जाती है और वह सरा ववाह करता है। 

��यद सतम भाव और अम भाव मपाप ह हो , मंगल ादश भाव महो और सतमेश क सतम भाव पर  ना हो तो जातक क पहली पनी क मृयुहो जाती हैऔर वह सरा ववाह करता है। 

��यद लन भाव म, तीय भाव मया सतम भाव मपाप ह हो और सतमेश अपनी नीच क राश महो अथवा अत हो तो जातक तीन बार ववाह करता है। 

�� यद सतमेश और एकादशेश एक ही राश महो अथवा एक सरेपर परर  रखतेहो या एक सरेसेपंचम नवम ान महो तो  केकई ववाह होतेह। 

��यद सतमेश चतुथभाव महो और नवमेश सतम भाव महो अथवा सतमेश और एकादशेश एक सरेसेक महो तो जातक के एक सेअधक ववाह हगे। 

��यद तीय भाव और सतम भाव मपाप ह हो तथा सतमेश केऊपर पाप ह क  हो तो पनी क मृयुकेकारण जातक को पुनववाह करना पड़ता है। 

��यद तीयेश और ादशेश तृतीय भाव मत हो और उन पर नवमेश अथवा बृहत क  हो तो जातक क कई पनयांहोती है। 

��यद सतमेश और तीयेश शु् केसाथ या पाप ह केसाथ होकर 6,8,12 भाव मेहो तो सरी शाद का योग बनता है। ��यद लन,सतम, चं वभाव राशयो मेपड रहेहो तो सरेववाह केयोग मेसहायक होतेहै। ��यद लनेश ,सतमेश , जमेर व शु वभाव राशयो मेहो तो भी सरेववाह केयोग बनतेहै। 

��आप सब सेअनुरोध हैक यह नयम सीधेकुंडलय पर ना लगाएंअपतुपूरी कुंडली का वेषण करनेके बाद ही फलादेश करे। 

धयवाद 

By Deeksha

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